जब सेनिटाइजर लगाने से कोरोना नहीं होगा तो , सेनिटाइजर से कोरोना का इलाज क्यों नहीं ?


पहली बात तो यह है कि भारत में अल्कोहल का नियंत्रण आबकारी विभाग द्वारा किया जाता है. आबकारी विभाग अलग अलग कार्यों में इस्तेमाल होने वाले अल्कोहल पर अलग अलग ढंग से आबकारी कर यानी एक्साइज ड्यूटी निर्धारित करता है. जिस स्वरूप में अल्कोहल नशे के लिए ग्रहण किया जा सके उसपर ज्यादा कर लगता है और जिस रूप में पिया नहीं जा सके उसपर कम टैक्स.
सैनिटाइजर इंडस्ट्रीयल स्पिरिट से बनाया जाता है जिसे पीने के लिए अयोग्य करने के लिए उसमें मिथाईल अल्कोहल मिलाया जाता है जो जहरीला होता और उसको पीने से व्यक्ति अंधा हो सकता है और मर भी सकता है. इस नाते सैनिटाइजर में उपयोग होने वाला अल्कोहल तो पिया ही नहीं जा सकता.
अब सवाल यह उठता है कि क्या इथाइल अल्कोहल से कोरोना वायरस का इलाज हो सकता है क्योंकि सैनिटाइजर तो सिर्फ इथाइल अल्कोहल से भी बनाया जा सकता है. उत्तर फिर भी ना में ही होगा क्योंकी यह वायरस पेट या फिर खून में नहीं होता बल्कि शरीर के सैल यानी कोशिकाओं में होता है इसीलिए सही मायने में उसे कोई दवा नहीं मार सकती. शरीर के ऊपर लगे वायरस को तो सैनिटाइजर भी मार सकता है और साबुन भी पर साबुन का पानी पीने से तो शरीर के भीतर का वायरस नहीं मरता.
जो भी दवा थोड़ा भी काम करती है वह वायरस को सैल के बाहर निकलने और दूसरे सैल में जाने और बीमारी को ज्यादा फैलने से रोकने का प्रयास करती है और या फिर शरीर में उन प्रोटीन को बनने से रोकती हैं जिनसे कोरोना वायरस का निर्माण होता है. कोई भी ऐसी दवा आज तक नहीं बनी जो वायरस को मार देती हो. अगर वायरस बढ़ ना पाए तो स्वयं धीरे धीरे समाप्त हो जाता है क्योंकि सब की निश्चित आयु होती है और हर प्राणी सिर्फ प्रजनन की वजह से संसार में जीवित रहता है फिर चाहे वह मानव हो या कोई वायरस.
मैंने बहुत संक्षेप में और बहुत सरल ढंग से वायरस के बारे में समझाने का प्रयत्न किया है. वायरस दरअसल जीवित प्राणियों की श्रेणी में नहीं आता और विस्तार में इसके बारे में लेख हर समाचार पत्र में आ चुके हैं पर इतने विस्तार में जाने से उत्तर ज्यादा तकनीकी हो जाता जो बायोलॉजी ना जानने वालों को थोड़ा कठिन पड़ता.

इसलिए फिलहाल कोरोना का इलाज न मिल जाने तक अपने घर पर रहिए सुरक्षित रहिए ।

Post a Comment

1 Comments

Comment shows what you think ... So please comment