जंग : एक प्रेमकहानी

TwoWordsTalk: जंग एक प्रेमकहानी
Two words talk present :जंग एक प्रेमकहानी

                           जंग : एक प्रेमकहानी

                                                                            Two words talk

गंगा मैया बहुत सारी  कहानिया लेकर पहुँचती है सागर में , उसे सुनाती है अपने अनुभव , अपनी कहानियां क्यूंकि उन्होंने बहुतो को जन्मते देखा बहुतो को खुद अपने साथ बहा ले आती है | इतना सब कुछ होने क बावजूद वही बेग वही उफान बरकरार रहता है | लेकिन आज कुछ खास हुआ क्या जो इतना शांत है .. 


वैसे तो गंगा मैया बहुत गांवो से गुजरती है , लेकिन यह गांव कुछ खास था , खास थे यहाँ के लोग।   सबका एक साथ गंगा पूजा करना , साथ खुशियां मनाना । ऐसी मान्यता थी कि वहां जो मांगो वह पूरी हो जाती थी  एक मां की मन्नत रही थी ,बेटे की । गंगा मैया उसकी इच्छा पूरी नहीं कर रही थी , हर साल मेला लगता था हर साल वह  मन्नत मांगती  थी  लेकिन इस साल गंगा मैया ने सुन ली।
                पूरे गांव में मिठाई बटवाई गई  पिताजी ने गंगा मैया की आरती की फूल माला मिठाई सब कुछ विसर्जित किया गया ,  लेकिन क्या पता था कि मां जिसने इतनी मन्नतें मांगी अपने बच्चे का मुंह देखे बिना ही गंगा में प्रवाहित हो जाएगी !! जो भगवान ने लिखा था हो गया ....
             
                समय किसके  के लिए रुकता , लड़का बड़ा हुआ मुण्डन  में भी में गंगा मैया ने प्रसाद ग्रहण किया।आज भी गंगा मैया उसी वेग  से बह रही थी आज गंगा मेला भी था और हर गांव से अलग-अलग तरह के लोग आए लेकिन कोई और भी था जिसे नियति ने मेले में भेजा था।  आज मेहमान बन कर आई थी मेहमान के लिए सेवा प्रबंध करना , उन्हें मेला घुमाना  जिम्मेदारी थी
                उन्होंने पहली बार नांव  पर साथ में गंगा मैया का सफर किया था उसके बाद अब तो दोनों ने बिना नांव  के ही पन्नों में अपने शब्दों से एक दूसरों के दिलों में सफर शुरू कर दिया था लेकिन वक्त के साथ ना दिया रिश्ते खराब हो गये  दोनों परिवारों में , इनमें उन  दोनों की कोई गलती नहीं थी !!
                4 दिन बाद वापस गंगा किनारे गंगा मेले में मिलने का वादा किया था , लेकिन इस बार घर से सख्त मनाही  थी ख़बरदार जो कोई वहाँ  गया तो !! डाकिया भी डाक तो लेता लेकिन बदकिस्मती घर से आगे उन तक न पहुंचा पता || सारी चिट्ठियां गंगा मैया में जाती रही ||

            

             लड़के ने पढ़ाई पूरी की उसने देश की सेवा का रास्ता चुना। मेजर बन गया सेना में , शायद मां की सेवा ना कर पाया तो धरती  मां की सेवा करने में पुण्य कमाना सौभाग्य समझा। लेकिन जिंदगी की जंग में केवल १ सिपाही ही नहीं था , इस जंग में कोई और भी अभी तक लड़ रहा था ....उसी गंगा किनारे मिलने का वादा निभाने के  लिए , समाज से लड़ रही थी।
                जंग का अंत तो होता ही है खैर कुछ साल बाद दोनों ने अपने-अपने परिवारों से अपनी शादी के लिए किसी तरह मना लिया। चलो देर सही छह साल के बाद अब आखिर वह दोनों मिल रहे है |  आज गंगा मैया से अपनी खुशी का जिक्र कर रहा था  ,  अब तो बस शहनाई ही सुननी है , पाणिग्रह हुआ , हल्दी लग गई , बारात गयी।  दोनों को सबने हलके मन से ही सही आशीर्वाद दिया।  रिवाज के अनुसार विदाई बाद में होनी है , बारात घर वापस आ गयी।  विदाई की तारीख 1 महीने है।
                मेजर  ने जाकर अपने साथियों को भरपेट  मिठाई खिलाई आखिर क्यों ना खिलाए 6  साल की जंग जीतने की खुशी है भाई !! 6 साल से  अभी चेहरा भी नहीं देखा था बचपन  का प्यार था , शादी में शर्म के मारे ढंग से चेहरा भी ना देख सका।  दोस्तों ने मजे लिए अब तो दिन रात देखना है , बॉर्डर से अब ड्यूटी भी ऑफिस में हो गयी है , घर भी मिल गया है दिल्ली में बीवी के साथ ख़ुशी  से रहेगा।  गाड़ी चलाने वाले सिपाही ने भी कहा अरे सर ! आप तो छुट्टी पर होने पर भी मिठाई खिलाने आए ,अब देखिए कितना नाचेंगे रिसेप्शन पार्टी में बारात में तो आ नहीं पाए।  सभी दोस्तों ने हामी भरी हां भाई ड्यूटी की वजह से बारात नहीं आ पाए लेकिन फिर से बारात लेकर चलेंगे हम पार्टी करेंगे।

               लेकिन अचानक हंसी चीख़  में  बदल गई और केवल अधःजली लाशें , ड्राइवर , गाड़ी सब जाने  अचानक क्या हो गया | एक धमाके ने सब कुछ 1  झटके में बदल दिया।  मेजर के  शरीर का कोई हिस्सा नहीं मिला , केवल हाथ था , हाथ में वही धागा 6 साल पुराना , जिसे उसने पहली बार  मिलने पर इन  हाथों पर  बांधा था , माँ ने जिन हाथों को पहली बार चूमा था  ,पहली बार जिस हाथ से पिता की उंगलिया थामी थी ...

                आज वह सब छोड़ कर चला गया ,वह इंतजार में थी जिन हाथो को थाम कर पूरी जिंदगी से जन्नत तक  का सफर  करने को ..... उसने आज उन हाथो को खुद मेजर की शरीर से अलग पाया। 
अंतिम सफर पर वह दुश्मनो की नामर्दगी पर शेरनी सी दहाड़ कर  गरजी !! भारत माता की जय !! वन्दे मातरम !! तुम हमेशा हमारे दिलो में जिन्दा हो !! तुम कही नहीं गए , कोई नहीं रोयेगा , मेरा पति अभी जिन्दा है , मेरी धड़कनो में जिन्दा है।   मेजर की आज विदाई है कोई हलचल नहीं हवा भी आज मेजर क लिए भगवान् से नाराज है आज वह मानो किसी के  लिए नहीं बहेगी।

अस्थियां गंगा में प्रवाहित कर दी गई.....  आज गंगा मैया रो पड़ी , जिसने कभी हिचक नहीं करी थी किसी गरीब की झोपड़ी बहा  ले जाने में भी..  बड़े बड़े चट्टानों को चीर कर आगे बढ़ती गयी वह  आज  खुद बहने में असमर्थ हो रही थी कैसे ले जाए यह  अस्थियां कैसे संभालेगी अपने पुत्र की अस्थियां क्या जवाब देगी उसे जिसे साक्षी मानकर दोनों ने एक साथ आजीवन रहने का संकल्प लिया था , वह भी रो रही थी आज की क्यों नहीं मैंने प्रलय ला दिया.... काश यह होता की उसके जाने से पहले ही वहाँ  जल प्रलय ला देती  .....

                जो  कल तक  मिलने से भी मना कर रहे थे आज कोई चाहकर भी नहीं मिला सकता था....
उसने वादा किया था गंगा किनारे मिलने का वह वादा कैसे  टूटने देती भला। .. तो चल पड़ी वही गंगा किनारे जहाँ पर वह  पहली बार मिले थे।  किसी ने आज हिम्मत नहीं की उसे रोक पाने की ....
उसने गंगा मैया से पुकार लगाई , ले चलो मुझे भी वही जहाँ  उन्हें बहा कर  ले गयी हो.......
अब  आज तो  गंगा भी निःशब्द थी ....
वह दुबारा वापस न आयी .....

__ राजा_अमरेंद्र

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