मुफ्तखोरी


क्या आप यकीन मान सकते हैं की इस पानी की बोतल की कीमत हिन्दुस्तान में 600 रूपया प्रति लीटर है और इसका सेवन करने वालों में विराट कोहली भी हैं । ये बोतल फ्रांस से पैक होकर आती है और ये जेनेवा नामक विशालकाय झील से निकलने वाले धारों से सीधे बोतल में भर ली जाती है।

अपने हिन्दुस्तान में भी शुद्ध पानी के नाम पर बिसलेरी, किनले इत्यादि बोतलें बेचीं जा रहीं हैं। पीने के लिए स्वच्छ पानी एक मूलभूत अधिकार है जो सरकार के द्वारा मुफ्त में मुहैय्या कराया जाना चाहिए। लेकिन आज के पूंजीवादी दौर में लागता है की पीने के साफ़ पानी की कोई कीमत होनी चाहिए जो की पूरी तरह गलत है।
जब सरकार गरीब लोगों को रोटी कपडा मकान शिक्षा गैस बिजली में भांति भांति की सब्सिडी देती है या मुफ्त में देती है तो हम लोगों को ऐसा लगता है की इन लोगों को ये अनावश्यक मुफ्त में दिया जा रहा है लेकिन हम इस बात की अनदेखी करते हैं की इन लोगों के द्वारा किये जाने वाले काम की इनको सही कीमत नहीं मिलती। किसान 100 किलो आलू अगर 100 रुपये में बेचने पे मजबूर हो रहा है तो उसके शोषण की वजह से हम काम दाम में आलू खरीद पा रहे हैं। इससे मुफ्तखोरी की परिभाषा में हम भी आ रहे हैं।
सरकार मुलभुत सुविधा मुफ्त में अगर दे तो कोई मुफ्तखोर बन जाए ऐसा जरुरी नहीं है क्योंकि ये सब उपलब्ध हो जाने के बाद आदमी जीवन में गुणवत्ता वाली चीजों के उप्पर ध्यान केंद्रित करके उस दिशा में बढ़ता है। विराट कोहली पहले सादा पानी पीता था और अब 600 रुपये वाली।

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